Saturday, April 11, 2015

Bride Dress

अस्सी कली का नहीं, बीस कली का हो घाघरा
शादियों का मौसम शुरू होने वाला है। ऐसे में युवक-युवती जुट गए हैं यादगार दिन के लिए तैयारियां करने में। इस दौरान हर कोई अपने बजट का ध्यान रखना चाहता है, यहां आशिता दाधीच आपको बता रही हैं इस सीजन की शादियों में क्या रहेगा चलन।

इस साल गर्मियां पहले ही दस्तक दे चुकी हैं, ऐेसे में हल्के रंगों के साथ हल्की जूलरी चलन में रहेगी। बीते एक दो सालों से दुल्हनें शादियों में उन परिधानों को प्राथमिकता दे रही हैं, जिन्हें वे बाद में घरेलू समारोह में पहन सकें। इसके चलते इस साल भी भारी-भरकम पोशाकों का चलन कम रहेगा। इसके साथ ही शादी पर दुल्हनों के लिए लहंगा-चोली के साथ अब बॉल रूम ट्रायल गाउन से लेकर मुगल शैली की जैकेट जैसे नए लिबास चलन में है। मौसम को ध्यान में रखने हुए दुल्हन की पोशाकों में आरामदायक फैब्रिक के साथ रंगों में पेस्टल शेड्स का अधिक इस्तेमाल दिखाई देगा। लड़कियों में बढ़ते आधुनिक चलन के देखते हुए इस साल कम भारी गहने चलन में रहेंगे।

सभी कार्यक्रमों के लिए अलग परिधान

पारंपरिक भारतीय शादियां पांच दिन तक चलती है। ऐसे में, हर दिन के लिए अलग-अलग पहनावे का प्रावधान है। कार्यक्रम की अवधि और प्रकार के आधार पर ड्रेस डिजाइन की जा रही हैं। जैसे मेहंदी में प्लेन लंबे घाघरे, संगीत में प्रिंटेड स्कर्ट के साथ चोली और शादी के मुख्य समारोह के लिए दस से बारह कली का लहंगा है। इन सभी कार्यक्रमों में पहनी जाने वाली जूलरी दुल्हन के कपड़ों के विरोधाभासी रंग की होगी। इससे दुल्हन की रंगत के बीच कपड़ों और गहनों की चमक उभर कर सामने आएगी। इस साल गहनों में क्रिस्टल और पर्ल का खासा चलन रहेगा।

कैसा होना चाहिए मेक-अप

आजकल ब्राइडल मेकअप में शिमर लुक ट्रेंड में है, इसलिए आप शिमर फाउंडेशन यूज करें, इससे पूरे चेहरे पर चमक आ जाती है। गर्मियों और उमस के चलते वॉटरप्रूफ फाउंडेशन का ही प्रयोग करे। दुल्हन के मेकअप में आंखों को स्मोकी लुक देने के लिए दो-तीन रंगों के आई लाइनर का इस्तेमाल किया जाता है। इससे आंखें उभरी हुई लगती हैं। ब्लशर में लाइट शेड जैसे पिंक, पीच कलर प्रयोग करें। इससे दुल्हन का मेकअप नैचरल दिखेगा।

Groom fashion trends

दूल्हे का सेहरा सुहाना लगता हैं।

दुल्हन को भी टक्कर दे दूल्हे के अंदाज

दूल्हे को तराशा जाए मूर्ति सा

क्यों सिर्फ दुल्हन ही हो रौनक, न भूले दूल्हे की शान

आशिता दाधीच, मुंबई

शादियों के नाम से याद आती हैं सजी धजी दुल्हनें, नख से शिख तक श्रृंगार की हुई औरतें लेकिन अब चलन बदल रहा हैं जनाब। अब दूल्हे राजा भी किसी मामलें में दुल्हनियां से कम नहीं लगना चाहते। ऐसे में दूल्हे के कपड़ो और गहनों की खरीदारी में भी खासी तेजी आई हैं। आज आशिता दाधीच आपको बता रही है दूल्हे राजा को राजा सा सजाने के लिए इस बार क्या है फैशन में।

हर कोई अपनी शादी को अपनी जिंदगी का सबसे यादगार लम्हा बनाना चाहता है। ऐसे में दूल्हे का पहला इमप्रेशन होती है उसकी वेडिंग ड्रेस। इस साल मोदी कुर्ते और मोदी जैकेट को लेकर युवाओं में खासा उत्साह देखा जा रहा हैं। इसके साथ ही इंडो वेस्टर्न सूट की भी दिवानगी अपने चरम पर है। बीतें दो सालों से पारम्परिक परिधान शेरवानी को भी विदेशी टच दिया जा रहा है। अगर आप कुछ अलग चाहते हैं तो पठानी सूट के साथ वेस्ट कोट या हेवी कुर्ता भी पहन सकते हैं। कुर्ता चुनते समय यह भी ध्यान रखे कि वह दुल्हन के लहंगे के रंग से मेल खाए।

शेरवानी हो कोट जैसी -

इंडो वेस्टर्न सूट घुटने से कुछ ऊपर होता है ऐसे में इसे पहनने पर शेरवानी के साथ कोट का भी लुक आता है। शेरवानी, इंडो वेस्टर्न सूट्स के साथ ही डिजाइनर कुर्ते पैजामे भी काफी पसंद किए जा रहे हैं। इसमें कंधों पर जरी का काम होता है। इस साल डिजाइनर स्टोन व हैवी वर्क का चलन भी देखा जा रहा है। आजकल दूल्हा - दुल्हन एक-दूसरे से मिलती जुलती पोशाख पहनते हैं इसलिए शेरवानी के साथ लाइट कलर की चुन्नी भी लगाई जा सकती है। इस साल रंगों में सबसे अधिक गाढ़ा नीला, महरून और लाल रंग चलन में है। शेरवानी के साथ ब्रिचिज स्टाइल पजामा इस साल सबसे अधिक चलन में रहेगा।

पगड़ी हैं सबसे जरुरी -
आजकल शादियों में सबसे ज्यादा राजस्थानी टर्बन ही नजर आ रही हैं। ये पगड़ियां पीले, बैंगनी, हरे और बंधेज जैसे डिजाइन में बनाई जाती हैं। इन पर एक बड़ा मोडलगा होता है और उस पर रंगबिरंगी कलगी और फेदर लगाए जाते हैं। ये फेदर आप अपनी शेरवानी के मैचिंग रंग का लगा सकते हैं।

Thursday, September 11, 2014

शादी का कार्ड wedding invitation

शादी का कार्ड -

हमारे दुलारे की शादी में जरूर आना

ढ़ेर सी मनुहार और आत्मीयता का रंग समेटे शादी का कार्ड

शादी के तैयारियों गहनों और कपड़ों की खरीददारी तो हो गयी, लेकिन, अभी तो सब मेहमान बुलाने है। उन्हें आमंत्रित करने का सलीका कुछ ऐसा हो कि वे बस मना नहीं कर पाए। आमंत्रण बस पाहुने के दिल को लुभाए, तो कैसा डिजाइन करे इंविटेशन कार्ड, क्या है दिलकश लेटेस्ट ट्रेंड्स, बता रही है आशिता दाधीच -

भुलेश्वर में वेडिंग कार्ड्स डिजाइन करने वाले भावेश भाई वगासिया के मुताबिक पिछले साल से अभी तक विटेंज कार्ड फैशन में चल रहे है। आज कल शादी के कार्ड में ग्लैमर के साथ सुनहरी रंगों की पट्टियां डिमांड में है। कुछ लोग सिल्वर और तांबाई रंगों को भी प्राथमिकता देते है। आज कल डबल फोल्डेड कार्ड चलन में है। देवताओं के चित्र वाला पोर्शन अलग और अलग से कागज पर छपा हुआ निमंत्रण पत्र अलग। ऐसे में इन्हे जॉइंट करने के लिए धागे का इस्तेमाल होता है, यहा धागा सुनहरी, चंदेरी से लेकर मोतियों की लड़ी के रूप में होता है, जो कार्ड को एलिगेंट लुक देता है।

इस साल भी शादी के कार्ड में पेस्टल शेड वाले मेटलिक रंगो की मांग है। श्रीजी स्टोर्स के प्रकाश मेहता के मुताबिक गहरा हरा, बेबी पिंक, आसमानी नीला, पीच कलर ही शादी के कार्ड के लिए उपयुक्त रहते है। कार्ड के बेकग्राउंड में यदि देवता या दुल्हा -दुल्हन के जोड़े और गुलाब का चित्र वाटर मार्क किया हो तो कार्ड की शोभा निखर कर सामने आती है। जहां तक फॉन्ट की बात है, लोग अब ऐसे फॉन्ट प्रिफर करते है जो हैण्ड राइटिंग की ही तरह दिखाई दे। इसके अलावा कार्ड में क्लासिक रोमन फॉन्ट हमेशा चलन में रहता है।

अगर शादी के कार्ड बनाने वाले आर्टिस्ट से कार्ड डिजाइन के अवधारणा को समझा जाए, तो यह कहा जा सकता है कि पहले से चली आ रही डिजाइन कुछ हेर फेर के साथ बाजार में दुबारा आ जाती है। आइये नजर डालते है ऐसे ही कुछ डिजाइन पर -

- सिंगल पेपर इंविटेशन - इन कार्डों में एक ओर वर वधु का परिचय, विवाह आयोजन स्थल, परिवार का नाम और अन्य विवरण होता है, जबकि पीछे का पेज पूरी तरह खाली, होता है, इस पर कुछ लोग दिलकश बेलबूटे की डिजाइन बनवाते है।

- डबल पेपर कार्ड - सदाबहार होते है इस तरह के कार्ड, लिफाफे में दो डिजाइनदार गत्तो के बीच दो कागजों को माला या धागे से जोड़ा जाता है। इन कार्ड्स में अधिक डीटेल लिखी जा सकती है। शादी की सभी रस्मों का ब्यौरा ड़ाला जा सकता है।

- शाही कार्ड - आज कल इनका चलन बढ़ रहा है। पाइप में रोल की तरह फोल्ड करके रखे हुए, सुनहरी कार्ड। ये कार्ड देखने में बिलकुल पुराने जमाने के राजाओं द्वारा जारी फरमानो की तरह दिखाई देते है। इनकी लागत कुछ अधिक है और रोलिंग लिफाफा होने के कारण इन्हे डाक से नहीं भेजा जा सकता। कुछ लोग इसी वजह से रोल की जगह डिबिया को महत्त्व देते है। डिबिया में गोल करके रखा हुआ रेशमी वेलवेट से लिखा हुआ निमंत्रण पत्र किस का दिल नहीं लुभाएगा!

- ई - इंविटेशन - आज कल के इस हाई टेक युग में सब कुछ ऑन लाइन हो गया है। ऐसे में टेक सेवी लोग मल्टी मीडिया इलेक्ट्रॉनिक कार्ड भेजते है। इंटरनेट से टेम्पलेट डाउनलोड करके इन्हे एडिट करते हुए मनमाना कार्ड बनाया जा सकता है। आप चाहे तो इसके साथ आवाज, चित्र, वीडियों, एनीमेशन जोड़ सकते है।

- इको फ्रेंडली कार्ड - आज कल हर कोई गो ग्रीन का नारा दे रहा है। ऐसे में शादी के कार्ड भी हैण्ड मेड पेपर से बनाए जाने लगे है। कई लोग ऐसे कार्ड प्रिफर करने लगे है, जिनमे कागज री साइकल किया जा सके। इन कार्ड के लिए पत्तियों, पंखो और पंखुड़ियों का इस्तेमाल होता है।



मनुहार पत्रिका भी है जरूरी -

जीवन में जिस तरह की व्यस्तता का आलम है, उसके चलते इन दिनों मनुहार पत्र यानी पूर्व-सूचना पत्र का चलन बढ़ गया है। ये कार्ड शादी तय होते ही भेजे जाते है। इन कार्ड में शादी का ब्यौरा और जरुर आने की विनम्र विनती होती है।



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विचित्र शादियां Weirds weddings

विचित्र शादियां

शादियों के रंग अनोखे

प्रांतो और राज्यों के साथ रंग बदलती शादियां

रंगीन शादी, अनोखे रीती रिवाज

राज्य अलग, रिवाज अलग

भारतीय हिन्दू शादियां रस्मों रिवाजों और संस्कारों का दमकता हुआ प्रतिबिंब है। हर प्रांत के खान -पान, भाषा, संस्कृति, जीवन शैली में अंतर होता है, वहीं अंतर शादियों के रिवाजों में भी झलकता है। यहां आशिता दाधीच बता रही है, राज्यों और उनकी शादियों के अनोखे रीति -रिवाजों के बारे में-

बंगाली शादी -

बंगाली विवाह समारोह देखने में एक दम सादा लेकिन पर्याप्त रूप से रोचक होता है। दुल्हा बारात लेकर दुल्हन के घर पहुंचता है, तो उसका स्वगर फूलों से किया जाता है। दुल्हन के घर की सबसे ज्येष्ट महिला दुल्हे के ललाट पर आशीर्वाद स्वरुप 'बरन दला' लगाती है। दुल्हे पर गुलाब जल की वृष्टि की जाती है। दुल्हे और दुल्हन के शादी वाले दिन की पहली मुलाकात को 'शुभो दृष्टी' कहा जाता है। वर माला समारोह को 'माला बदल' कह कर संबोधित किया जाता है। जिसके बाद दुल्हन को उसके भाइयों उठाया जाता है। उठाने के लिए उसे 'पीड़ी' यानि एक छोटे से स्टूल पर बैठाया जाता है। भाई अपनी बहन को लेकर दुल्हे के इर्द - गिर्द सात फेरे लगाते है। जिसके बाद होती है सम्प्रदान और सप्तपदी की रस्म।

आसमिया शादी -

शादी से पहले दुल्हे और दुल्हन की मां निकटवर्ती नदी पर जाकर वहां से पानी का घड़ा भर कर लाती है। इस पानी से वर वधु को स्नान करवाया जाता है। आसमिया जोड़े की शादी का भोज उनकी शादी से पहले होता है। दुल्हे की बारात तो तब तक दुल्हन के घर में प्रवेश नहीं मिलता है जब तक वह काफी सारी धनराशि उपहार में नहीं देता। मंत्रोच्चार के मध्य दुल्हा अपनी भावी पत्नी के ललाट पर सिंदूर लगाता है। जिसके बाद आरती के साथ विवाह संपन्न होता है।

ओड़िया शादी -

इन शादियों में अन्य सभी रीति रिवाज तो भारतीय शादी जैसे ही होते है, लेकिन, जो बात ओड़िया शादी को सबसे अलग बनाती है वह है, शादी में दुल्हे की मां भाग नहीं लेती है। इन शादियों में सप्तपदी और फेरों को 'हाथा घंटी' कह कर संबोधित किया जाता है।

दक्षिण भारत -

पहले रस्म को 'काशी यात्रा' कहा जाता हैं। यह रस्म शादी के पहले होती हैं। दूल्हा पूजा करता हैं और फिर कहता हैं की शादी करने के बजाय वह काशी जाना चाहता हैं और अपना जीवन भगवान को समर्पित करना चाहता हैं। हाथ में छाता लेकर और लकड़ी के चप्पल पहनकर वह घर से निकलता हैं। दुल्हन के पिता और भाई दुल्हे को रोकने और मनाने की कोशिश करते हैं। दूसरा रस्म को 'स्नाताकुम' या 'धागे की रस्म' कहा जाता हैं। इस रस्म में दुल्हे की पूजा होती हैं।

कश्मीरी पंडित -

इन शादियों में सबसे जरूरी है दुल्हन के कान छिदाई की रस्म। साथ ही, इनमे सुहाग की निशानी 'देजहोर' पहनना बहुत जरूरी होता है, जो सोने की चैन और लटकन से बना होता है। इसे कान में ऊपर की तरफ पहना जाता है। शादी की अन्य रस्मों के नाम लिवून, वान्वुन, मान्ज़िरात, बरियाँ, थाल्स, पूलन का गहना, संज़रू, और देव्गों है.

पंजाबी शादी-

शादी से दो दिन पहले चुंग की रस्म होती है जिसमें दूल्हा और सात सुहागनें मिलकर चक्की पीसते हैं और फिर प्रसाद बांटा जाता है। इसके अगले दिन घडौली की रस्म होती है जिसमें लडकी और लडके की बुआ, मामी, मौसी अपने-अपने घर मटकों को सजाकर बैठते हैं और दूसरे पक्ष से बहन और जीजा इनसे मोलभाव कर मटके खरीदकर लाते हैं।

गुजराती शादी -

गुजराती शादी में फेरों के समय दूल्हा-दुल्हन को मौली की बनी एक ही माला पहनाई जाती है जो दोनों के जीवन को एक सूत्र में पिरोने का प्रतीक होता है। कन्यादान के समय सास द्वारा दूल्हे की नाक और विदाई के समय दूल्हा सास का पल्लू पकडता है।

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दुल्हन की बारात Weird Wedding

शादियां जिनमें है महिलाओं का बोलबाला

फिल्म मेरे ब्रदर की दुल्हनका पोस्टर तो आपको याद ही होगा जिसमें अभिनेत्री कैटरीना बारात लेकर घोड़ी पर चढ़कर शादी के लिए निकलती है। यह कोरी फिल्मी कल्पना नहीं, हकीकत है देश के कई अंचलों की। आशिता दाधीच बता रही है, देश की उन शादियों के बारे में जहां महिलाएं होती हैं प्रधान। आइए, जानते है, जनजातियों की इन अजीबो-गरीब शादियों के बारे में।


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- दुल्हन की बारात - यूपी के अल्लीपुर टंडवा इलाकों में दुल्हन घोड़ी चढ़, बारात लेकर ससुराल जाती है। दूल्हे के दरवाजे पर द्वारपूजन होता है व आंगन में मंडप सजता है और शादी की सारी रस्में निभाई जाती हैं। शादी के दिन दुल्हन परिवार और नाते-रिश्तेदारों के साथ बारात लेकर ससुराल जाती है। दूल्हे के आंगन में ही खंभ पूजन कर मंडप सजाया जाता है। जनवासे से दुल्हन अपने परिवार के साथ मंडप में जाती है और फिर वहीं अग्नि को साक्षी मान दूल्हे के साथ सात फेरे लेती है। पैर पूजन, कन्या दान जैसी रस्मों के बाद वह सास-ननद के बीच रहती है और अगले दिन सुबह दूल्हे के घर पर ही कलेवा होता है। शाम को दुल्हन के ससुरालजन उसे मायके के लिए विदा करते हैं। अगले दिन दूल्हा अपने परिवार व रिश्तेदारों के साथ ससुराल जाता है। अगले दिन दुल्हन को ससुराल विदा करा ले जाते हैं।

उत्तराखंड के जौनसार बावर में भी शादी की रस्में निराली हैं। यहां वर के बजाए वधु घर से बारात लेकर जाती है अपने भावी पति के घर रहने के लिए। वधु के साथ आए बाराती स्थानीय वाद्य यंत्रों के साथ नाचते गाते हुए वर के गांव से कुछ दूर ठहर जाते हैं। वहां सत्कार के बाद शाम को दावत होती है। इसके बाद रात भर नाच-गाना चलता है, जिसे स्थानीय बोली में गायण कहते हैं। दूसरे दिन वर पक्ष के आंगन में हारुल, झेंता, रासो व जगाबाजी जैसे लोकगीत और नृत्यों का आयोजन होता है। बारात विदा करने के बाद दुल्हन तीन या पांच दिन ससुराल में रह कर वापस मायके आती है।

बंगाल और असम के ममनसिंह, ग्वालपाडा और कामरुप जिलों में रहने वाले गारो आदिवासीयों में वधु पक्ष उसी लड़के को चुनता है जिसने गले में खोपड़ियों की माला पहनी हो और जो बहुत ही भयानक दिखता हो।

दुल्हे की भरी जाती है मांग

छत्तीसगढ़ के ओरांव जनजाति की शादियों में दुल्हन भी दूल्हे की मांग भरती है। विवाह के लिए वर पक्ष बारात लेकर जाता है। मंडप में दुल्हा दुल्हन को हल्दी लगाने के बाद दुल्हा दुल्हन की मांग में सिन्दूर भरता है। इसके बाद कोल्हू से निकला सरसों का तेल दूल्हे की मांग पर लगाया जाता है। उसके बाद तीन बार उसकी मांग दुल्हन द्वारा भरी जाती है। पहली बार मांग भरने के बाद उसे पोंछ दिया जाता है और इसके बाद दूसरी बार मांग भरी जाती है। फिर वधू पक्ष दूल्हे को नौ रुपए देता है। यह सुखदान या कन्या के परिवार का दुल्हे को दिया गया आशीर्वाद कहलाता है।

अब भी होता है स्वयंवर

गुजरात में गोलग-घेडों के मुताबिक होली पर स्वयंवर होता है। जिसमे खंभे के ऊपर गुड़ और नारियल बांधते है जिसके इर्द-गिर्द सारी लडकियां नृत्य करती हैं। पुरुष भी उनके चारों ओर घेरा बनाकर नाचना शुरू करते है। महिलाएं अपने पीछे नाच रहे पुरुषों को पत्थर फेंक कर, झाड़ू मार कर दूर भगाती है। जो युवक इस महिला घेरे को तोड़कर खंभे में गुड और नारियल निकाल लाता है। उसे विजेता माना जाता है, यह विजेता अब इस घेरे की किसी भी महिला से विवाह कर सकता है।

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सोलह श्रृंगार। Wedding make up

किसी भी स्त्री को पूर्णता देता है, सोलह श्रृंगार। सोलह श्रृंगार करने के बाद स्त्री की खूबसूरती में चार चांद लग जाते है। शादी जिंदगी का सबसे यादगार दिन है, ऐसे में हर कोई इस दिन लगना चाहता है बेहद खास। हर दुल्हन करना चाहती है पिया के नाम पर सोलह श्रृंगार। आज आशिता दाधीच, बता रही है, सोलह श्रृंगार के नाम और प्रकार -

- बिंदी- सुहागिन स्त्रियां कुमकुम या सिंदूर से अपने ललाट पर लाल बिंदी लगाना जरूरी समझती हैं। इसे परिवार की समृद्धि का प्रतीक माना जाता है।

- सिंदूर- उत्तर भारत में सिंदूर को स्त्रियों का सुहाग चिन्ह माना जाता है और विवाह के मौके पर पति अपनी पत्नी के मांग में सिंदूर भर कर जीवन भर उसका साथ निभाने का वचन देता है।

- मेहंदी- शादी के वक्त दुल्हन और शादी में शामिल होने वाली परिवार की सुहागिन स्त्रियां अपने पैरों और हाथों में मेहंदी रचाती है। मान्यता के मुताबिक वधू के हाथों में मेहंदी जितनी गाढ़ी रचती है, उसका पति उसे उतना ही प्यार करता है।

- शादी का जोड़ा- दुल्हन को जरी से बना हुआ शादी का लाल जोड़ा पहनाया जाता है। जिसमे घाघरा, चोली और ओढ़नी का समावेश होता है। देश के कुछ अंचलों में दुल्हन को पीली साड़ी पहनाई जाती है, महाराष्ट्र में हरी, जबकि गुजरात और महाराष्ट्र में लाल बॉर्डर वाली सफेद साड़ी पहनाई जाती है।

- फूलों की वेणी - दुल्हन के जूड़े में जब तक सुगंधित फूल लगाए जाए उसका श्रृंगार फीका लगता है। दक्षिण भारत और महाराष्ट्र में तो महिलाएं रोज फूलों का गजरा लगाती है, जबकि उत्तर भारत में फेरों के दौरान महिलाएं ढ़ीली वेणी गूंथ कर उसमे फूल पहनती है।

- मांग टीका- यह सर के बीच में पहना जाने वाला यह स्वर्ण आभूषण होता है। दुल्हन की मांग में इसी जगह सिंदूर भरा जाता है।

- नथनी - उत्तर भारतीय स्त्रियां आमतौर पर नाक के बायीं, जबकि दक्षिण भारत में नाक के दोनों ओर छोटी-सी नोज रिंग पहनी जाती है, जिसे बुलाक कहा जाता है। सुहागिन स्त्रियों के लिए नाक में आभूषण पहनना अनिर्वाय माना जाता है। इसलिए आम तौर पर स्त्रियां नाक में छोटी नोजपिन पहनती हैं, जो देखने में लौंग की आकार का होता है।

- कान की बालियां - शादी के दौरान कान में पहने वाले आभूषण को चेन के सहारे जुड़े में बांधा जाता है। शादी के बाद भी स्त्रियों का कानों में ईयरिंग्स पहनना जरूरी माना जाता है।

- हार- गले में पहना जाने वाला सोने या मोतियों का हार पति के प्रति सुहागन स्त्री के सुहाग का प्रतीक माना जाता है। दक्षिण और पश्चिम भारत में दुल्हा शादी के दौरान वधू के गले में मंगल सूत्र (काले रंग की बारीक मोतियों का हार जो सोने की चैन में गुंथा होता है) पहनाता है।

- बाजूबंद- यह आभूषण सोने या चांदी का होता है। यह बाहों में पूरी तरह कसा जाता है। इसलिए इसे बाजूबंद कहा जाता है। पहले सुहागिन स्त्रियों को हमेशा बाजूबंद पहने रहना अनिवार्य माना जाता था

- चूड़ियां- चूड़ियों में रंगों का विशेष महत्व है। नवविवाहिता के हाथों में लाल या हरी चूड़ियां ही पहनाई जाती है. इसके अलावा पीली या बंसती रंग की चूड़ियां पहनी जाती है।

- अंगूठी- शादी के पहले सगाई के रस्म में वर-वधू एक-दूसरे को अंगूठी पहनाते है. अंगूठी स्त्री के श्रृंगार की प्रतिक है. अंगूठी पहनने से हाथ की शोभा बढ़ जाती है.

- कमरबंद- कमरबंद कमर में पहना जाने वाला आभूषण है, जिसे स्त्रियां विवाह के बाद पहनती हैं. सोने या चांदी से बने इस आभूषण के साथ बारीक घुंघरुओं वाली आकर्षक की रिंग लगी होती है, इसके अलावा सोने के भी कमरबंध खासे प्रचलित है.

- बिछुड़ी - पैरों के अंगूठे में रिंग की तरह पहने जाने वाले इस आभूषण को बिछुड़ी कहा जाता है। पैरों के अंगूठे और छोटी अंगुली को छोड़कर बीच की तीन अंगुलियों में चांदी का विछुआ पहना जाता है। इस आभूषण में तरह-तरह की सुंदर आकृतियां, जैसे मछली, मोर, तितली, फूल, पत्तियां आदि बनी होती हैं।

- पायल- पैरों में पहने जाने वाले आभूषण को पायल कहते है। इसमें घुंघरू लगे होते है। यह आभूषण हमेशा सिर्फ चांदी का ही होता है। पायल पहनने से जब स्त्री चलती है, तो उसके पैरों से आने वाली रुनझुन की आवाज से घर का माहौल मधुर लगता है।



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खरीदारी Wedding shopping

मेहंदी है रचने वाली

शादी के तारीख है नजदीक, अभी से जुट जाओ तैयारी में

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शादी की तारीख तय होते ही, परिवार वाले जुट जाते है खरीदारी और तैयारियों में। समारोह में हर किसी के आकर्षण का केंद्र हो दुल्हन होती है, ऐसे में उसे भी तो जन्नत की हूर लगना है। विवाह समारोह में अपनी दिलकश अदाओं का जलवा बिखेरने के लिए दुल्हन को भी चार -पांच महीने पहले तैयारी शुरू कर देनी चाहिए। कैसे करे दुल्हन पहले से खूबसूरती को निखारने की ये तैयारियां, बता रही है आशिता दाधीच।

शादी के तारीख तय होते ही दुल्हन को भरपूर आराम करना चाहिए। सुबह उठकर ब्रीदिंग एक्सरसाइज करना चाहिए। त्वचा पर अच्छी तरह मॉयस्चराइजर लगाएं ताकि ब्राइडल मेकअप से पहले स्कीन तैयार हो सके। पर्याप्त पानी व जूस पिएं। इससे त्वचा में निखार आता है, और नेचुरल ग्लो किसी भी मेकअप से बढ़ कर और बेहतर होता है। यह कहना है ग्रांट रोड़ इलाके में ब्यूटी केयर चेन चलाने वाली फाल्गुनी संघानी का। उनके मुताबिक दुल्हन को एक नियमित अंतराल पर ऑक्सीफेशियल स्किन ट्रीटमेंट लेना चाहिए। यह ऑक्सीफेशियल एक तरह का फेशियल ट्रीटमेंट है, जिसमें त्वचा में ऑक्सीजन पहुंचाई जाती है और त्वचा की गंदगी को साफ किया जाता है। इससे बेजान कोशिकाओं में जान आ जाती है और त्वचा ताजी दिखने लगती है। नियमित अंतराल पर त्वचा पर कुछ देर बर्फ के टुकड़े जरुर रगड़े, इससे स्कीन साफ और चमकदार रहती है। चेहरे की सफाई, अरोमा थेरेपी फेशियल, बॉडी व सिर का मसाज और हेयर स्पा के साथ मेनिक्योर और पेडिक्योर जरुर कराते रहे।

इन दिनों हर जगह प्री ब्राइडल पैकेज की व्यवस्था हैं। ऐसे में एक ही जगह बुकिंग करवा कर आप वहा से रेग्युलर ट्रीटमेंट ले सकती है. इससे ब्यूटी केयर एक्सपर्ट भी आपकी स्कीन के नेचर को समझने लगेगी और आपको किसी भी तरह की स्कीन एलर्जी से बचाया जा सकेगा। अंधेरी में पार्लर चेन चला रही अनु चौहान के मुताबिक दुल्हन को कम से कम दो महीने पहले बॉडी वैक्स करवाना चाहिए। बॉडी वैक्स में लिंब्स और पीठ के अलावा बिकनी वैक्स भी होता है।

नहाने के पानी में गुलाब की कुछ पत्तियां डालें। रेग्युलर हेड मसाज लें और हफ्ते में एक बार मैनीक्योर और पैडीक्योर अवश्य करवाएं। शादी के दिन हर कोई फिट लगना चाहता है ऐसे में शादी से कम से कम दो तीन महीने पहले जिम ज्वाइन करें। दिन में एक बार योग जरुर करे। कैलौरी कॉन्शियस रहें और घी- चिकनाई वाली चीजें, मिर्च मसाले, मिठाई, चाय कॉफी आदि से परहेज रखें। डाइट में प्रोटीन जैसे दही, दूध, पनीर आदि रोजाना नियमित रूप से लें।

ब्राइडल मैग्जीन के लिए मेकअप आर्टिस्ट गौरव अरोड़ा के मुताबिक शादी से एक पखवाड़े पहले ही दुल्हन को आईलैश एक्सटेंशन करवा लेना चाहिए। इसके तहत पलकों पर एक-एक लैश चिपकाई जाती है जिससे पलकें घनी व लंबी दिखाई देती हैं। ये पलकें लगभग 15 दिनों तक टिकी रहती है। इससे भावी दुल्हन रोज मेक अप करने के झंझट से बच सकती है। भावी दुल्हन को परमानेंट मेकअप करवा लेना चाहिए। यह मेकअप दो से चार महीने तक अपना प्रभाव बनाए रखता है। बार-बार मेकअप करने की जरूरत नहीं पड़ती। प्राकृतिक बालों के ऊपर फॉल्स हेयर लगाने को हेयर एक्सटेंशन कहते है। इससे बाल घने और बड़े लगते है। बालों को घना दिखाने के लिए हेयर फाइबर तकनीक का इस्तमाल करना चाहिए।

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